Tuesday, April 12, 2016







लेकर आना उसे मेरे जनाजे में... 

एक आखरी हसीन मुलाकात होगी.... 
मेरे जिस्म में जान न हो मगर... 
मेरी जान तो मेरे जिस्म के पास होगी...





हर कोई मुझे 

जिंदगी जीने का तरीका बताता है,
उन्हें केसे समझाऊ एक ख्वाब अधुरा है.
वर्ना जीना मुझे भी आता है....




है दफ़न मुझमे कितनी रौनके मत पूछ,

ऐ दोस्त…..
हर बार उजड़ के भी बस्ता रहा वो शहर हूँ मैं......




Cheen Lun Tujhe Duniya Se Ye Mere Bas Mein Nahi ......
Mere Dil Se Tujhe Koi Nikaal De Ye Bhi Kisi Ke Bas Mein Nahi.....




वो भी आधी रात को निकलता है और मैं भी ......
फिर क्यों उसे चाँद और मुझे आवारा कहते हैं लोग ...




गलत सुना था कि, इश्क आँखों से होता है....
दिल तो वो भी ले जाते है,
जो पलकें तक नही उठाते....



जिँदगी का भी अजीब किस्सा है........

अजनबी हाल पूछ रहे हैं.........
और.... 
अपनो को खबर तक नहीं...!!

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